🔷 प्रस्तावना:
लंबे समय तक बिहार को पलायन, पिछड़ापन और राजनीति के नजरिए से देखा जाता रहा। लेकिन अब एक नई पीढ़ी तैयार हो रही है – नवोन्मेषक, डिजिटल-साक्षर, और सामाजिक रूप से जागरूक युवा उद्यमियों की।
इनका नजरिया सिर्फ मुनाफा कमाने का नहीं, बल्कि बिहार को बदलने का सपना है। इसी सोच की पराकाष्ठा है – “Bihar First, Bihari First”।
🔷 1. 🌱 जड़ें बिहार में, उड़ान वैश्विक
आज का युवा भले ही देश-विदेश में पढ़ा हो, लेकिन उसकी भावनात्मक और नैतिक जड़ें बिहार में हैं।
वह जानता है कि अगर किसी को राज्य को बदलना है, तो शुरुआत स्वयं बिहारी युवाओं को करनी होगी।
“दूसरे राज्यों की तरक्की देखने से बेहतर है, अपने राज्य की तरक्की में भागीदारी निभाना।”
🔷 2. 🧠 बुद्धिमत्ता और संसाधन का मेल
बिहार के युवा अब केवल नौकरी के लिए नहीं, बल्कि उद्यम के लिए भी तैयार हैं।
वे समझते हैं कि बिहार में:
- विशाल मानव संसाधन है
- कृषि, पर्यटन, शिक्षा जैसे क्षेत्र अनछुए हैं
- प्रतिस्पर्धा की तुलना में अवसर अधिक हैं
इन संसाधनों का उपयोग करना ही “Bihar First” की व्यावहारिक शुरुआत है।
🔷 3. 💼 स्टार्टअप संस्कृति का उदय
बिहार में अब स्थानीय स्तर पर:
- एग्रीटेक स्टार्टअप
- हैंडलूम/हैंडिक्राफ्ट आधारित ब्रांड
- एडटेक और हेल्थटेक समाधान
- ई-कॉमर्स और स्थानीय सेवा ऐप्स
जैसे स्टार्टअप उभर रहे हैं।
इनके पीछे युवा उद्यमियों की सोच है – “बिहारी समस्या का समाधान, बिहारी तकनीक और दृष्टिकोण से”।
🔷 4. 🔁 पलायन को उल्टा करना – रिवर्स माइग्रेशन
कई युवा जो दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर में थे, अब अपने गांव या जिले में लौटकर स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं।
वे समझते हैं कि स्वावलंबी बिहार ही बिहारी पहचान को मजबूती देगा।
🔷 5. 🎯 सामाजिक उद्देश्य और निजी लाभ का संतुलन
नई पीढ़ी सिर्फ मुनाफे के लिए काम नहीं कर रही – वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक विषयों पर भी स्टार्टअप्स बना रहे हैं।
“Impact-driven entrepreneurship” अब बिहार के युवाओं की नई परिभाषा है।